सफलता
1.
न इसकी
तरह, न उसकी तरह,
कुछ कर
गुज़र खुद अपनी तरह!
2. एक कांटा पाँव में
जहाँ चुभ गया,
मंजिल की राह का वो मोड़ लुभ गया!
3. खुद अपनी हस्ती मिटाकर है जाना,
क्या होता है जहाँ में अपनी हस्ती बनाना!
4. न होश की थी हिम्मत,
न जोश का था सवाल,
चीर जाए जो फलख, वो बस एक सरफ़रोश की मजाल!
5. एक निश्चय, एक
लक्ष्य, एक तेरी हो धुन,
केवल आँख देख लक्ष्य की, बन अर्जुन, बन अर्जुन!
6. मोहिनी मंद-मंद
मुस्काने लगी,
धीमे-धीमे जब वो मुझ तक आने लगी,
भूली थी नींदें भी जिसे पाने को मैंने,
वो सुन्दरी सफलता अपनी गोद में सुलाने लगी!
लेखिका: सोनम भाटिया सलूजा
लेखिका: सोनम भाटिया सलूजा
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