बस कह दें शाबाश
ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, जो मुझे बना दे ख़ास,
इतना सा ही काम करें, बस कह दें शाबाश!
कभी कोई छोटा सा ही काम अगर कर दूँ,
किसी की झोली में बस एक ख़ुशी भर दूँ,
मेरे नन्हे हाथ चाहे एक लकीर ही बनायें,
चाहे इनसे उलटे-सीधे ही रंग भरे जाएँ,
चाहे बस एक ही कदम बड़ा मैं पाऊं,
चाहे हर कदम के बाद मैं गिरता जाऊं,
पर मेरे फिर से उठने का दिलाएं एहसास,
पर मेरे फिर से उठने का दिलाएं एहसास,
इनाम कोई ना दें मुझे, बस कह दें शाबाश!
अगर कोई गलती मुझसे कभी हो जाए,
जो आना चाहिए वह परिणाम न भी आये,
पर मेरे काम करने की चाह ज़रूर देखिये,
जो भी समय लगाया उसे व्यर्थ न होने दीजिये,
मेरी हर एक कोशिश को न अनदेखा कीजिये,
आगे बढने की आशा को उड़ान दीजिये,
एक “वाह” भी बड़ा सकती है मेरा आत्म-विश्वास,
और न दे कुछ मुझे, बस कह दें शाबाश!
जीवन के मुश्किल मोड़ पर गर जाए कोई फिसल,
ऐसा नहीं कि फिर वो सकता नहीं संभल,
पस्त हुए इरादे भी, फिर हो सकते हैं प्रबल,
आपके चंद शब्दों में ही है इतना बल,
गर सही कदम बढ़ता कोई, तो रखता है वो चाह,
मिले उन्हें शब्द आपके वाह-वाह, वाह-वाह!
हर कोई कोशिश नहीं करता केवल इनाम के लिए,
क्या वर्षों की मेहनत बेकार एक परिणाम के लिए?
न होने दें किसी के प्रयास का परिहास,
बंधी रहने दें सबके दिलों में जीत के आस,
न दें पायें कुछ ज्यादा तो ना दें,
कंधे पे हाथ रख के, बस कह दें शाबाश!
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